जाने क्या होता है पंचक? आखिर क्यों 5 दिन कुछ काम करने से किया जाता है मना, कब है पंचक ? The Palamu Guru
पंचक क्या है? क्यों होते हैं पंचक और क्या कहती है ज्योतिष?

Reported By : The Palamu Guru
पलामू, 14 जून: हिंदू पंचांग के अनुसार चंद्रमा जब कुंभ और मीन राशि में प्रवेश करता है, उस अवधि को ‘पंचक काल’ कहा जाता है। यह समय लगभग 5 दिनों तक चलता है और इस दौरान किए गए कुछ विशेष कार्यों को अशुभ माना गया है। ज्योतिषियों की मान्यता है कि पंचक में लापरवाही या परंपराओं की अनदेखी भविष्य में विपरीत परिणाम दे सकती है।
🔹 पंचक का शाब्दिक अर्थ:
'पंचक' संस्कृत शब्द 'पंच' से बना है, जिसका अर्थ है पाँच। इस अवधि में चंद्रमा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, उत्तराभाद्रपद और रेवती — इन पाँच नक्षत्रों से गुजरता है। इसीलिए इसे पंचक कहा जाता है।
🔹 पंचक में कौन-कौन से कार्य वर्जित माने जाते हैं?
पंचक काल को लेकर कई धार्मिक मान्यताएँ प्रचलित हैं। कुछ विशेष कार्य इस दौरान नहीं किए जाते:
मृत शरीर का दाह संस्कार (विशेषकर यदि मृत्यु कुंभ राशि में हो)
लकड़ी या फर्नीचर का भंडारण या खरीददारी
नया घर बनवाना या छत ढलवाना
दक्षिण दिशा की यात्रा
पलंग या बिस्तर खरीदना
ज्योतिषाचार्य मानते हैं कि इस अवधि में यदि नियमों की अनदेखी हो जाए, तो दुर्घटना, अग्निकांड, रोग, या मृत्यु जैसे गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं।
🔹 क्या पंचक में कोई उपाय संभव है?
यदि पंचक के दौरान कोई कार्य अनिवार्य रूप से करना पड़े, तो इसके लिए विशेष उपाय और शांति विधि की जाती है। उदाहरण के लिए—
मृत्यु पंचक में 5 पुतले बनाकर मृत शरीर के साथ उनका दाह किया जाता है, ताकि परिवार को अगली कोई क्षति न हो।
दक्षिण यात्रा से पूर्व हनुमान जी की पूजा की जाती है।
🔹 अगला पंचक कब से कब तक रहेगा?
ज्योतिषाचार्यों की मान्यता के अनुसार, यह अवधि जल्द ही शुरू होने वाली है – 16 जून 2025 को दोपहर 1:10 बजे से शुरू होकर 20 जून 2025 की रात 9:45 बजे तक चलेगी
भारतीय परंपरा में पंचक को लेकर जो मान्यताएँ हैं, वे केवल अंधविश्वास नहीं, बल्कि अनुभव और सुरक्षा के आधार पर बनी सामाजिक व्यवस्था का हिस्सा हैं। चाहे हम उन्हें धार्मिक मानें या व्यावहारिक — पंचक में सावधानी बरतना समझदारी ही कही जाएगी।
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