नियमों की धज्जियाँ | प्रशासन की चुप्पी और बिना पर्यावरणीय मंजूरी के निर्माण बढ़ा रहा जल संकट | Palamu News

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्रशासन की अनदेखी से संकट में कोयल नदी, बढ़ते अवैध निर्माण से पलामू की लाइफलाइन खतरे में ।

Reported By : The Palamu Guru

मेदिनीनगर | पलामू की जीवनरेखा मानी जाने वाली कोयल नदी आज अपने अस्तित्व के सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और स्थानीय प्रशासन की उदासीनता के चलते नदी का प्राकृतिक स्वरूप नष्ट हो रहा है। नदी के किनारों पर अवैध निर्माण का सिलसिला जारी है, जिसमें स्कूल, अस्पताल, मकान और व्यवसायिक प्रतिष्ठान शामिल हैं। नियमों की खुलेआम अनदेखी और संबंधित अधिकारियों की चुप्पी ने इस समस्या को भयावह बना दिया है।

नदी की स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है।

कभी स्वच्छ जल की धारा बहाने वाली कोयल नदी अब प्रदूषण और अतिक्रमण के बोझ से कराह रही है। नदी के किनारों पर बेतरतीब ढंग से हो रहे निर्माण कार्यों के कारण जल प्रवाह बाधित हो रहा है। इसके अलावा, निर्माण कार्यों के दौरान भारी मात्रा में मलबा नदी में डाला जा रहा है, जिससे नदी का तल भरता जा रहा है। पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जल्द ही इस पर काबू नहीं पाया गया, तो कोयल नदी के अस्तित्व पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।

प्रशासन की चुप्पी बनी समस्या।

स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि अवैध निर्माण के खिलाफ कई बार शिकायतें दर्ज कराई गईं, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी इस मुद्दे पर निष्क्रिय नजर आ रहा है। अधिकारियों की अनदेखी और उदासीनता ने अवैध निर्माणकर्ताओं को और अधिक हिम्मत दी है।


अवैध निर्माण के कारण बढ़ता खतरा।

नदी के किनारों पर बने अवैध निर्माण न केवल पर्यावरणीय संकट को बढ़ा रहे हैं, बल्कि आसपास के क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ का खतरा भी उत्पन्न कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि नदी के प्राकृतिक मार्ग में अवरोध उत्पन्न होने से मानसून के दौरान पानी का बहाव बाधित होगा, जिससे बाढ़ की संभावना बढ़ सकती है।वहीं, निर्माण सामग्री जैसे रेत, सीमेंट, मलबा आदि नदी में गिरने से जल की गुणवत्ता भी खराब हो रही है।

स्थानीय लोगों में बढ़ता आक्रोश।

कोयल नदी के आसपास रहने वाले स्थानीय लोगों में प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ आक्रोश भी है। उनका कहना है कि नदी से न केवल उन्हें जल आपूर्ति होती है, बल्कि यह उनकी संस्कृति और पहचान का भी हिस्सा है।पलामू के एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा, की कोयल नदी हमारी धरोहर है। यदि इस पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाली पीढ़ियों को सूखी और प्रदूषित नदी ही देखने को मिलेगी।

कानून की अनदेखी।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत नदी के किनारों पर अवैध निर्माण प्रतिबंधित है, लेकिन नियमों की अनदेखी कर कई इमारतें खड़ी की जा रही हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि नदी के संरक्षण के लिए बने कानूनों का सख्ती से पालन होना चाहिए।

कोयल नदी केवल एक जलधारा नहीं है, बल्कि यह पलामू की जीवनरेखा और सांस्कृतिक धरोहर है। यदि समय रहते नदी के संरक्षण के लिए ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो यह आने वाले समय में पूरी तरह विलुप्त हो सकती है। जिला प्रशासन, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, और स्थानीय नागरिकों को मिलकर कोयल नदी को बचाने की दिशा में ठोस और कारगर प्रयास करने की जरूरत है।

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